रक्षा निवेशक प्रकोष्ठ

भारत में रक्षा क्षेत्र उत्‍पादों को बढ़ावा देने हेतु भारत सरकार की पहल ‘मेक इन इण्‍डिया’ के साथ, रक्षा उत्‍पाद क्षेत्रों में उपलब्‍ध अवसरों के बारे में निवेशकों को जागरूक करने की जरूरत है। एकल संपर्क के रूप में काम करते हुए, रक्षा उत्‍पादन विभाग, रक्षा मंत्रालय के अधीनस्‍थ रक्षा निवेशक प्रकोष्‍ठ क्षेत्र में निवेश के लिए निवेश अवसरों, प्रक्रिया और नियामक आवश्‍यकताओं से संबंधित प्रश्‍नों से संबंधित सभी आवश्‍यक सूचनाएं उपलब्‍ध कराएगा।

रक्षा उत्‍पादन विभाग द्वारा निवेश की सुविधा उपलब्‍ध कराने के लिए निम्‍नलिखित औद्योगिक अनुकूल पहल की गई है।

  1. लेवल प्‍लेइंग फील्‍ड-
    • > भारतीय निजी क्षेत्र के लिए रक्षा लोक उपक्रमों के समान एक्‍सचेंज रेट वेरिएशन (ईआरवी) सुरक्षा लागू किया गया है।
    • > निजी और सार्वजनिक क्षेत्र में उद्योग जगत के सभी आयामों के लिए समान उत्‍पाद शुल्‍क/सीमा शुल्‍क व्‍यवस्‍था लागू करना।
  2. रक्षा ऑफसेट-
    • > एमएसएमई के लिए 1.5 मल्‍टीप्‍लायर का प्रावधान जैसा कि भारतीय ऑफसेट पार्टनर (आईओपी)।
    • > 3 तक मल्‍टीप्‍लायर का प्रावधान, जटिल तकनीकी के लिए डी आर डी ओ को हस्‍तांतरण ।
    • > संविदा हस्‍ताक्षर के बाद विदेशी कंपनियां भी ऑफसेट डिस्‍चार्ज के लिए अपने आईओपी और घटकों को इंगित कर सकती है।
  3. गैर कोर मदें-
    • > विक्रेताओं द्वारा आयुध निर्माणी बोर्ड की 143 मदों को गैर-कोर मदों में वर्गीकृत किया गया है।
  4. 'मेक’ प्रक्रिया-
    • >  विक्रेताओं द्वारा डिजाइन और विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रोटोटाइप विकास लागत 3 करोड़ रुपए के लिए एमएसएमई को अधिमानी व्‍यवहार के साथ मेक-II प्रक्रिया को संशोधित और साधारण निर्गत किया गया है।
  5. एफडीआई नीति-
    • > ऑटोमेटिक रूट के अधीन 49% तक एफडीआई स्‍वीकृत है और 49% से अधिक सरकार के अनुमोदन से।
  6. औद्योगिक लाइसेसिंग नीति-
    • > 70% मदें जैसे- पुर्जे, कम्‍पोनेंट, सब सिस्‍टम, कच्‍चे माल इत्‍यादि को औद्योगिक लाइसेसिंग नीति की परिधि से हटा दिया गया है।
    • > औद्योगिक लाइसेंस की शुरूआती अवधि को 3 वर्ष से बढ़ाकर 15 वर्ष कर दिया गया है जिसे आईडीआर एक्‍ट और आर्म्‍स एक्‍ट के तहत आजीवन वैधता के तहत 3 वर्ष और बढ़ाया जा सकता है।
  7. रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम/आयुध निर्माणी बोर्ड की आउटसोर्सिंग और टेंडर विकास-
    • > रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रम/आयुध निर्माणी बोर्ड द्वारा व्‍यापक दिशा निर्देश जारी किए गए हैं जिसमें स्‍वदेशीकरण और आयात विकल्‍प के लिए टेंडर विकास शामिल है।
  8. रक्षा निर्यात-
    • > युद्ध-सामग्री सूची के लिए आवश्‍यक प्राधिकरण की अनिवार्यता को सार्वजनिक डोमैन में रखकर अस्‍पष्‍टता को समाप्‍त कर दिया गया है।
    • > पुर्जों के निर्माण, कम्‍पोनेंटस और सब सिस्‍टम इत्‍यादि के लिए सरकारी प्राधिकारियों द्वारा अंत प्रयोक्‍ता प्रमाण पत्र को प्रति हस्ताक्षरित/स्‍टैम्‍प करवाने की अनिवार्यता को समाप्‍त कर दिया गया है।
    • > आवेदन पत्र आन लाइन प्राप्‍त हो रहे हैं।
    • > निर्यात के लिए प्राधिकरण जारी करने के लिए मानक प्रचालन प्रक्रिया (एसओपी) को पब्‍लिक डोमैन में डाल दिया है, प्राधिकरण जारी करने के लिए विशिष्‍ट समय सीमा प्रारंभ की गई है।
  9. ग्रीन चैनल-
    • > आपूर्तिकर्त्‍ता वारंटी/वेंडर की गारंटी के अंतर्गत प्रेषक पूर्व निरीक्षण और माल की स्‍वीकृति की आवश्‍यकता को समाप्‍त करके ग्रीन चैनल नीति को लागू किया गया है।
  10. समय पर भुगतान-
    • > रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को कच्‍चे माल की खरीद और सामग्री को वेंडर, विशेष रूप से एमएसएमई को 30 दिन के अंदर 90% राशि का भुगतान करना होता है। रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों और आयुध निर्माणी बोर्ड को एमएसएमई वेंडर को 15% अग्रिम का प्रावधान है।