रक्षा उत्पादन विभाग, रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में नौ सरकारी उपक्रम हैं ।
हिन्दुस्तान एरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) रक्षा उत्पादन विभाग के अंतर्गत सबसे बड़ा रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम है । वांतरिक्ष के क्षेत्र में भारतीय रक्षा सेवाओं के लिए लड़ाकू विमानों, प्रशिक्षक विमानों तथा हेलिकॉप्टरों जैसे उत्पादों के साथ व्यापक समाधान प्रदाता के रूप में इसने स्वयं को स्थापित किया है । एचएएल की लगभग 90% बिक्री भारतीय रक्षा सेवाओं को की गई बिक्री के कारण है ।
एचएएल के अंतर्गत बेंगलूरु, नासिक, हैदराबाद, लखनऊ, कानपुर, कोरवा, कोरापुट, कासरगोड तथा बैरकपुर में 20 उत्पादन प्रभाग, 11 अनुसंधान एवं अभिकल्प केंद्र तथा एक सुविधा प्रबंध प्रभाग स्थित हैं । वर्तमान उत्पादनों में प्रमुख विमानों/हेलिकॉप्टरों के अंतर्गत सु-30 एमकेआई - मल्टीरोल फाइटर, हॉक -प्रोन्नत जेट प्रशिक्षक, हलका लड़ाकू विमान (एलसीए), माध्यमिक जेट प्रशिक्षक (आईजेटी), डॉर्नियर 228-हलका परिवहन वायुयान, ध्रुव (प्रोन्नत हलका हेलिकॉप्टर), चेतक, चीता एवं चीतल हेलिकॉप्टर शामिल हैं । कंपनी ने वर्ष 2014-15 में रु 16289 करोड़ का विक्रयावर्त प्राप्त किया तथा दिसंबर 2015 के अंत तक रु. 188 करोड़ की निर्यात बिक्री प्राप्त की ।
वर्ष 2015-16 के दौरान प्रमुख घटनाएं/उपलब्धियाः
- एचएएल ने अपनी स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने पर वर्ष 2015 में प्लैटिनम जयंती मनाई है । वर्ष 2015-16 में प्लैटिनम जयंती समारोह के अलावा प्रमुख उपलब्धियों में 25केएन टरबो फैन इंजन (एचटीएफई-25) का कोर इंजन रन, 1200 किलो वाट टरबो शाफ्ट इंजन के डिजाइन एवं विकास की शुरूआत, सुखोई 30 एमकेआई आरओएच के लिए संरचनागत मरम्मतशाला का उद्घाटन, एचएएल में नीवन हैरिटेज केंद्रों, टीएडी, कानपुर में एचएएल प्रबंधन अकादमी का नया कैंपस और एएलएच उत्पादन की दूसरी लाइन शामिल हैं ।
- प्रधानमंत्री ने बेंगलुरू से लगभग 100 किमी दूर बिदरहल्ला कवल, गुब्बी तालुक, तुमाकुरू में हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के नए हेलीकॉप्टर विनिर्माण सुविधा केन्द्र की 3 जनवरी,2016 को आधारशिला रखी थी ।
- मध्यवर्ती जेट प्रशिक्षक (आईजेटी) की अपेक्षित अधिष्ठापित विशेषताओं को हासिल कर लिया गया है, विभिन्न परीक्षण पूर कर लिए गए हैं ।
- मानवरहित विमानों (आरयूएवी), जिन्हें भू-नियंत्रण स्टेशनों से रिमोट द्वारा नियंत्रित किया जाता है, ने पहली उड़ान (टेथर्ड फ्लाइट) 16 दिसंबर, 2015 को भरी थी । भविष्य में, बेकार, गंदे एवं खतरनाक समझे जाने वाले सभी प्रकार के मिशनों के लिए इन आर-यूएवी का उपयोग किया जा सकेगा ।
- परिवहन वायुयान प्रभाग, कानपुर को सिविल क्षेत्र के लिए डोर्नियर डू-228 के विनिर्माण एवं आरओएच हेतु डीजीसीए द्वारा 'उत्पादन संगठन अनुमोदन प्रदान किया गया है । इससे नागर विमानन के क्षेत्र में विविधता लाने के एचएएल के प्रयास सफल होंगे ।
- मंगल ग्रह के आर्बिटर मिशन (मंगलयान) के लिए एचएएल ने इसरो उपग्रह केंद्र (आईएसएसी) को आर्बिटर क्राफ्ट माड्यूल स्ट्रक्चर की सुपुर्दगी 10 जून, 2015 को की है ।
वर्ष 2015-16 के दौरान प्राप्त पुरस्कारः
- एचएएल को वर्ष 2012-13 के लिए निष्पादन, नवाचार और स्वदेशीकरण में उत्कृष्टता हेतु रक्षा मंत्री पुरस्कार से 28 जनवरी, 2016 में नवाजा गया है ।
- संपूर्ण भारत में नवाचारी और सक्षम सूचना सुरक्षा संबंधी पहलों के लिए एचएएल के सभी एप्लीकेशन्स हेतु 'एचएएल सिंगल साइज-ऑन' परियोजना के लिए एचएएल को 'इनफोसेक मैस्ट्रो अवार्ड 2015' से सम्मानित किया गया है ।
- इंजीनियरिंग निर्यात संवर्धन परिषद ने वर्ष 2013-14 के लिए एचएएल को 'स्टार निष्पादन हेतु राष्ट्रीय निर्यात पुरस्कार' से 3 सितंबर, 2015 को सम्मानित किया है ।
- एचएएल ने 'बीटी-स्टार पीएसयू उत्कृष्टता पुरस्कार, 2015 हासिल किया है ।
पर्यावरण संरक्षणः: सांविधिक अपेक्षाओं के अनुसार प्रचालन हेतु सभी प्रभागों को संबंधित राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों से प्रमाण-पत्र प्राप्त हैं । निर्माणियों एवं नगर क्षेत्रों के लिए सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) लगाए गए हैं । 500 किग्रा प्रतिदिन की क्षमता वाले दो आर्गेनिक सॉलिड वेस्ट कंवटर्स बेंगलुरू में लगाए गए हैं । कंपनी में एलईडी लैंप एवं ऊर्जा स्टार रैटिंग वाले उपस्कर जैसे उत्पादों को अपनाया गया है जिससे केवल बेंगलुरू आधारित प्रभागों में 25 लाख यूनिट बिजली ऊर्जा की बचत होती है । कंपनी की योजना आगामी पांच वर्षों में 50 मेगावाट क्षमता के नवीनीकरण ऊर्जा संयंत्र लगाने की है । अब तक, कुल 0.5 मेगावाट ऊर्जा उत्पादन के सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए जा चुके हैं । 6.3 मेगावाट के पवन ऊर्जा संयंत्र और 3.5 मेगावाट के सौर ऊर्जा संयंत्र लगाए जाने के आदेश दिए जा चुके हैं ।
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भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड (बीईएल) 1954 में रक्षा मंत्रालय के अधीन स्थापित, एक नवरत्न कंपनी की पूरे भारत में नौ इकाइयां हैं । बीईएल रक्षा क्षेत्र में रडारों एवं हथियार प्रणालियों, सोनार, संचार, ईडब्ल्यूएस, इलेक्टो-आप्टिक्स एवं टैंक इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में बुनियादी क्षमताएं रखता है । गैर-रक्षा क्षेत्र में बीईएल की उत्पाद श्रेणी में ईवीएम, टेबलेट पीसी, आईसी, हाइब्रिड माइक्रोसर्किट, सेमी कंडक्टर डिवाइस, सोलर सैल इत्यादि शामिल हैं ।
अनुसंधान एवं विकासः बीईएल ने आत्म-निर्भरता प्राप्त करने के लिए सभी नौ यूनिटों में अनुसंधान एवं विकास (आर एण्ड डी) सुविधाएं स्थापित की हैं । कंपनी ने भावी कार्यक्रमों एवं विभिन्न प्रौद्योगिकियों, ज्ञान प्रबंधन पोर्टल इत्यादि की पहचान करते हुए एक तीन वर्षीय आर एण्ड डी योजना तैयार की है । प्रति वर्ष औसतन 10 नए उत्पाद शामिल किए जाते हैं । बीईएल अपने कारोबार का लगभग 8 प्रतिशत भाग आर एण्ड डी पर व्यय करता है ।
वर्ष 2015-16 के दौरान प्रमुख उपलब्धियां/पुरस्कारः
- स्वदेशी रूप से विकसित सतह से हवा में मार करने वाली आकाश मिसाइल प्रणाली को जुलाई,2015 में भारतीय वायु सेना (आईएएफ) में शामिल किया गया था ।
- रक्षा मंत्री जी ने अनंतपुर जिले के पालासमुद्रम में 30 सितंबर, 2015 को 'रक्षा प्रणाली एकीकरण कॉप्लेक्स' की आधारशिला रखी थी जिसका उद्देश्य सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली के क्षेत्र में रक्षा सामर्थ्यो को सशक्त बनाना है ।
- बीईएल को इलेक्ट्रीकल एवं इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में डन एण्ड ब्रैडस्ट्रीट इंडिया के सर्वोत्तम पीएसयू पुरस्कार से सम्मानित किया गया है ।
- गुणवत्ता एवं निर्यात श्रेणियों में वर्ष 2014-15 के लिए इलेक्ट्रॉनिक हार्डवेयर विनिर्माण और सेवाओं में उत्कृष्टता हेतु बीईएल ने ईएलसीआईएनए-ईएफवाई पुरस्कार हासिल किए हैं।
भावी चुनौतियाः रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार को निजी भागीदारी के लिए खोले जाने से प्रतिस्पर्धा और बढ़ गई है। इस प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए, बीईएल ने संगठनात्मक संरचना में बदलाव, नए उत्पाद विकास पर और अधिक बल देने, विविधीकरण, प्रक्रियाओं, पद्धतियों, अवसंरचना में सुधार इत्यादि जैसी कई रणनीतियां अपनाई हैं ।
स्वदेशीकरणः बीईएल ने अपने कारोबार का लगभग 80 प्रतिशत भाग स्वदेशी रूप से विकसित उत्पादों से अर्जित किया है । हाल के वर्षों में विकसित कुछ प्रमुख उत्पादों में शिल्का वायु रक्षा प्रणाली (थलसेना), साफ्टवेयर परिभाषित रेडियो (नौसेना), संचार नेटवर्क(लिंक II मोड III), यूनिट स्तर का स्विच बोर्ड एमके-III, उन्नत समग्र संचार प्रणाली (नौसेना) शामिल हैं । पी16ए के लिए पोत डेटा नेटवर्क(नौसेना), आकाश हथियार प्रणाली के लिए सिम्यूलेटर, प्रक्षेपास्त्र चेतावनी प्रणाली(सेना), नई पीढ़ी के सोनार(नौसेना) इत्यादि। तकनीकी अन्तर को मिटाने के लिए, बीईएल प्रौद्योगिकी अंतरण वाले उत्पादों के घटकों एवं उप-असेंबलियों का व्यवस्थित रूप में चरणबद्ध तरीके से स्वदेशीकरण कर रहा है ।
आधुनिकीकरणः बीईएल सुविधाओं के आधुनिकीकरण में निरंतर निवेश करता रहा है जो स्वदेशी प्रयास के लिए आवश्यक है । हाल के प्रमुख निवेशों में इमेज इन्टेसिफायर ट्यूब मैन्यूफैकचरिंग एवं टेस्टिंग सुविधाए, नियर फील्ड रेंज टेस्ट सुविधा, एण्टीना टेस्ट सुविधा, इएमआई/इएमसी टेस्ट चैम्बर्स, सुपर कंपोनेंट्स असेम्बली एवं टेस्ट सुविधा, रडारों एवं प्रक्षेपास्त्र प्रणालियों इत्यादि के लिए इन्डोर/आउटडोर टेस्ट प्लेटफार्म शामिल है । बीईएल अपने आंतरिक प्राप्तियों से वर्ष 2015-16 के लिए पूंजीगत व्यय की दिशा में लगभग 500 करोड़ रुपए का निवेश करेगा ।
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भारत डायनामिक्स लिमिटेड(बीडीएल), जो कि एक लघु रत्न श्रेणी-1 कंपनी है, को रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत वर्ष 1970 में निगमित किया गया था । टैंकरोधी निर्देशित प्रक्षेपास्त्र के विनिर्माण से शुरुआत करके बीडीएल नई पीढ़ी कीएटीजीएम, सतह से हवा में मार करने वाली शस्त्र प्रणालियों, सामरिक महत्व के हथियारों, लांचरों, अंतर्जलीय हथियारों, डिकॉयज और परीक्षण उपस्करों के विनिर्माण केन्द्र के रूप में उभरा है । बीडीएल अमरावती, महाराष्ट्र और इब्राहिमपट्टनम, रंगारेड्डी जिला, तेलंगाना राज्य में नई इकाइयों की स्थापना करके एटीजीएम और एसएएम सहित सभी प्रमुख परियोजनाओं की क्षमता संवर्धन के द्वार सैन्य बलों की मांग को पूरा करने के लिए तैयार है ।
बीडीएल की कंचनबाग, भानुर और विशाखापट्नम स्थित तीनों इकाइयां आईएसओ-14001 प्रमाणित है । बीडीएल का उत्पादन प्रभाग, डिजाइन एवं इंजीनियरिंग और सूचना तकनीकी प्रभागों ने आईएसओ 9001:2008 प्रत्यायन प्राप्त किया है ।
बीडीएल के पास भारतीय नौसेना के लिए एकीकृत एलआरएसएएम प्रक्षेपास्त्र है जिसके लिए एचओटी(होम ऑन टार्गेट) परीक्षण किया गया है और दो एचआरएसएएम प्रक्षेपास्त्रों का भारतीय युद्धपोत से दिसंबर, 2015 में सफलतापूर्वक टेस्ट फायर किया गया । बीडीएल़,एलआरएसएएम(सेना) के लिए एक अग्रणी एकीकर्ता भी है । वर्तमान में आकाश हथियार प्रणाली(एडब्ल्यूएस) एक डिजाइनकर्ता के रूप में डीआरडीओ के सहयोग से बीडीएल द्वारा स्वदेशी रूप से उत्पादित प्रमुख उत्पादों में से एक है, जिसे भारतीय सेना और वायु सेना को सप्लाई किया जा रहा है ।
बीडीएल आत्मनिर्भरता बढ़ाने, विदेशी मुद्रा विनिमय को कम करने और लागत में कमी करने के उद्देश्य से विनिर्मित की जा रही एटीजीएम के स्वदेशीकरण की दिशा में निरंतर संकल्पित प्रयास कर रहा है । बीडीएल ने कोनकर्स एमएटीजीएम, इनवार और मिलन-2टी एटीजीएम का क्रमशः 90 प्रतिशत, 76.4 प्रतिशत और 71 प्रतिशत स्वदेशीकरण कर लिया है।
पूंजीगत व्यय एवं आधुनिकीकरण: पूंजीगत व्यय पर वर्ष 2015-16 के लिए 226 करोड़ रुपए रखे गए हैं । इनमें से 110 करोड़ रुपए संयंत्र एवं मशीनरी के आधुनिकीकरण और कंपनी के अन्य संक्रियात्मक कार्यकलापों पर व्यय किया जाएगा ।
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बीईएमएल, वर्ष 1964 में स्थापित, एक लघु रत्न(श्रेणी-1) का सार्वजनिक क्षेत्र का रक्षा उपक्रम है । बेंगलुरु, कोलार गोल्ड फिल्डस (केजीएफ), मैसूर और पालाक्कड में कंपनी के 9 उत्पादन यूनिटें हैं एवं सहायक इस्पात फाउंड्री- टरीकेरी, चिकमंगलूर में है और यह खनन व निर्माण, रक्षा और रेल एवं मेट्रो उत्पादों के क्षेत्र को एक वृहत श्रंखला को बिक्री और बिक्री पश्चात् क्रियाकलापों में लगा हुआ है । कंपनी का आन्तरिक व्यापार एशिया, अफ्रीका और लैटीन अमेरिका में 58 देशों में फैला हुआ है ।
अनुसंधान एवं विकास पहल और नए उत्पादों का विकासः कंपनी का घरेलू आरएण्डडी पर एक सकेन्द्रित दृष्टिकोण है और यह अपने कारोबार का लगभग 3 प्रतिशत आरएण्डडी पर व्यय रही है । घरेलू आरएण्डडी से विकसित किए उत्पादों ने पिछले तीन वर्षों में कुल कारोबार का औसतन 50 प्रतिशत का योगदान किया है । चालू वर्ष के दौरान 8x8 और 10x10 की एसएमइआरसीएल परियोजना की शुरुआत की गई है । 2 पेटेंट अर्थात वर्ष 2014-15 में बैकहो लोडर के लिए फोर्जड डिजाइन टूथ प्वाईंट और 2015-16 में वाकिंग ड्रैगलाइन हेतु टूथ प्वाइंट सहित 2008-09 से 07 पेटेंट दायर किए गए हैं ।
स्वदेशीकरणः खनन एवं उत्पाद विनिर्माण के संबंध में स्वदेशीकरण का स्तर 90 प्रतिशत से अधिक है और रेल एवं मेट्रो कार के मामले में 50 प्रतिशत हैा । रक्षा उत्पादों अर्थात पीएम ब्रिज एटीटी, एयरक्राफ्ट वेपन लोडर, 50टी ट्रेलर इत्यादिः के मामले में कंपनी ने लगभग 100 प्रतिशत स्वदेशीकरण प्राप्त किया है ।
पर्यावरण सुरक्षाः कंपनी ने कर्नाटक के वन विभाग के साथ केजीएफ, मैसूर और बेंगलुरू परिसर में 2015 नन्हें पौधे लगाए हैं । इसने हरित ऊर्जा पहल की दिशा में कर्नाटक के गडग जिले में 5 एमडब्ल्यू की विंड मिल स्थापित की है ।
प्राप्त पुरस्कारः बीईएमएल के "निर्यात में सर्वोत्तम कार्यनिष्पादन" श्रेणी के अंतर्गत वर्ष 2012-13 के लिए रक्षा मंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार प्रदान किया गया है । बीईएमएल ने एएसएपीपी मीडिया इंफोर्मेशन ग्रुप द्वारा 12वीं वार्षिक विनिर्माण वर्ल्ड ग्लोबल अवार्डस में विनिर्माण एवं इंजीनियरिंग की श्रेणी में भारत की सर्वोच्च चुनौती वाली कंपनी का पुरस्कार भी प्राप्त किया और ईपीसी द्वारा पुरस्कृत स्टार परफार्मर-वृहत उद्यम(मॉडलिंग, क्वायरिंग और विनिर्माण व तत्संबंधी हिस्से) के लिए 'सिल्वर शील्ड' भी प्राप्त की है ।
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मिधानि, एक लघु रत्न कंपनी है जिसकी स्थापना 1973 में रक्षा उत्पादन एवं आपूर्ति विभाग, रभा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन की गई थी ताकि उत्कृष्ट उत्पादन सुविधाओं का प्रयोग करते हुए विभिन्न प्रकार की महत्वपूर्ण और जटिल मिश्रित धातुओं जैसेकि सुपर एलॉयज, टिटेनियम मिश्र धातु, विशेष इस्पात एवं धब्बारहित इस्पात, सॉफ्ट मैग्नेटिक मिश्र धातुओं की वृहत श्रृंखला के विनिर्माण में आत्मनिर्भरता प्राप्त की जा सके । मिधानि, देश की रक्षा, अंतरिक्ष, उड्डानियकी, परमाणु ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स, दूर संचार और अनेक सामरिक क्षेत्रों की जरूरत को पूरा करती है । मिधानि ने रक्षा, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा क्षेत्रों के राष्ट्रीय महत्व के कार्यक्रमों के लिए विभिन्न आकारों, मापों में उच्च कार्य निष्पादन करने वाली 105 से भी अधिक श्रेणियों की मिश्र धातुओं विकास, विनिर्माण किया है व उनकी आपूर्ति की है ।
स्वदेशीकरणः मिधानि में विनिर्मित ज्यादातर मिश्र धातु/उत्पाद आयात प्रतिस्थापित हैं । हाल में ही विकसित कुछ उत्पाद जैसे कि सुपर्नी42, सुपरकास्ट55, अरिहंत पनडुब्बी के लिए स्टीयरिंग गेअर असेम्बली, अडोर इंजन के लिए टाइटन 26 डिस्क, उपग्रह प्रोपल्सन के लिए सी103 शीटें इत्यादि का विनिर्माण नवाचार विनिर्माण प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हुए किया गया ।
वित्तीय कार्यनिष्पादनः मिधानि ने एक पिछले 10 वर्षों से बिक्री में लगभग 15 प्रतिशत की एक आकर्षक सम्मिलित वार्षिक वृद्धि दर अर्जित की है और निरंतर 'उत्कृष्ट' एमओयू कार्यनिष्पादन रेटिंग प्राप्त की है ।
पर्यावरण सुरक्षाःऊर्जा बचत के लिए नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करने हेतु मिधानि टाउनशिप की रिक्त पड़े भूमि में सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित की गई है । औषध वनम एवं हरित वनम परियोजना के हिस्से के रूप में फल देने वाले, खुशबू देने वाले व औषधीय पौधों के लगभग 1000 पौधों का रोपण किया ।
(अधिक जानकारी के लिए लिंक पर जाएँ: www.midhani-india.in)
माझगांव डॉक लिमिटेड(एमडीएल) सार्वजनिक क्षेत्र के सभी रक्षा उपक्रम शिपयार्डो में अग्रणी है जो युद्धपोतों एवं पनडुब्बियों के निर्माण में लगा हुआ है । वर्तमान में एमडीएल, मिसाइल विध्वंसकों, स्कॉर्पीन पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है और इस प्रकार भारतीय नौसेना के लिए युद्धपोत निर्माण में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने में सहायता कर रहा है ।
सुपुर्दगी एवं जलावतरणः वाई-702, 'आईएनएस कोच्चि', पी15ए वर्ग के दूसरे पोत की सुपुर्दगी 9 सितंबर, 2015 को की गई । स्कोपियन वर्ग की पनडुब्बी कलवारी को 6 अप्रैल, 2015 को बंदरगाह से निकाला गया और 29 अक्तूबर, 2015 को इसका जलावतरण किया गया। पी15वी विशाखापट्नम के प्रथम विध्वंसक को 20 अप्रैल, 2015 को जलावतरित किया गया ।
अनुसंधान एवं विकास पहलः चालू वर्ष के दौरान 31 मार्च, 2015 तक अनुसंधान एवं विकास क्रियाकलापों पर 31 करोड़ रुपए की राशि व्यय की गई । तीन इन-हाउस परियोजनाएं- 100 टन से 250 टन तक के मेगा ब्लाकों को उठाने के लिए पद्धित का विकास, इओडी कैमरा और प्लम एनालिसिस के लिए प्लेटेड मास्ट स्ट्रक्चर का सीएफडी विश्लेषण, के एमडीएल में अनुसंधान एवं विकास दल द्वारा युद्धपोत अभिकप्पन के लिए अपनाई गई प्रौद्योगिकी का इष्टम उपयोग आभासी वास्तविक प्रयोगशाला का कार्य शुरू किया गया है ।
आधुनिकीकरणः माझगांव डॉक लिमिटेड ने माझगांव आधुनिकीकरण परियोजना(एमएमपी) के द्वारा अपने अवसंरचना का संवर्धन कार्य को सफलतापूर्वक पूरा किया । आधुनिकीकरण के अगले चरण में, एमडीएल की अल्काक यार्ड में आउटफिट असेम्बली शॉप, में अपनी पोत निर्माण और पनडुब्बी सुविधाओं कों बढ़ाने, गोलियथ क्रेन के ट्रैक का विस्तार करने, रिची ड्राई डॉक को गहरा करने और पनडुब्बी अनुभाग असेम्बली (एसएसए) कार्यशाला का निर्माण करने की योजना है ।
स्वदेशीकरणः एमडीएल ने सरकार की 'मेक इन इंडिया' पहल को सुदृढ़ करने और युद्धपोतों और पनडुब्बियों में स्वदेशीकरण की मात्रा को क्रमिक रूप से बढ़ाने के लिए एक समर्पित स्वदेशीकरण विभाग की पहले ही स्थापना कर दी गई है । स्वदेशीकरण की दिशा में एमडीएल का संकल्प इस तथ्य से स्पष्ट है कि एमडीएल द्वारा निर्माता पोत में स्वदेशीकरण का प्रतिशत वर्ष 1997 में 42 प्रतिशत (दिल्ली क्लास) से बढ़कर वर्ष 2015-16 में लगभग 78 प्रतिशत (कोलकाता क्लास) हो गया है ।
पुरस्कारः वर्ष के दौरान एमडीएल द्वारा प्राप्त प्रमुख पुरस्कार है-'नवाचार में उत्कृष्टता के लिए ' एयरोस्पेस अवार्ड 2015', उत्पाद/ सेवा नवाचार पुरस्कार
(अधिक जानकारी के लिए लिंक पर जाएँ: http://www.mazagondock.in)
गार्डनरीच शिपबिल्डर्स एण्ड इंजीनियर्स लिमिटेड(जीआरएसई), एक लघु रत्न श्रेणी-I कंपनी है जो पिछले 21 वर्ष से मुनाफा कमाने वाली लाभांश देने वाली सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रम है । यह भारत की बढ़ती समुद्री जरूरतों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलता रहा है और एक अग्रणी पोतनिर्माणी यार्ड के रूप में जाना जाता है ।
वर्तमान में, जीआरएसई में 14 युद्धपोत निर्माणाधीन हैं, जिनमें पनडुब्बीरोधी वारफेयर कार्वेट (एएसडब्ल्यूसी), आठ लैंडिंग क्राफ्ट युटीलिटी (एफसीयू) पोत और चार वाटर जेट फास्ट अटैक क्राफ्ट (डब्ल्यूजेएफएवी) शामिल हैं । दूसरा एएसडब्ल्यु स्टेल्थ कार्वेट (आईएनएस कदमत) 06 नवंबर, 2015 को सुपुर्द किया गया । जीआरएसई ने चालू वर्ष के दौरान हल को पूरा किया है और पांच युद्धपोतों को लांच किया है ।
आधुनिकीकरणः शिपयार्ड का परियोजना 17ए के तहत (3 स्टील्थ फ्रिगेट्स) के निर्माण के लिए मॉड्यूलर पोत की निर्माण को कार्यान्वित करने के लिए आधुनिकीकरण किया गया है । यह यार्ड एलसीयू परियोजना के पांचवें पोत पर मॉड्यूलर पोत निर्माणी का पहला चरण शुरु कर रहा है ।
पुरस्कारः जीआरएसई को वर्ष के दौरान निम्नलिखित पुरस्कारों से नवाजा गया है
- वर्ष 2012-13 और 2013-14 का उत्कृष्ट कार्यनिष्पादक रक्षा शिपयार्ड के लिए रक्षा मंत्री अवार्ड, इसके साथ ही जीआरएसई ने यह पुरस्कार लगातार चार बार जीता है (वित्त वर्ष 2010-11, 2011-12, 2012-13 एवं 2013-14)
- राजभाषा कीर्ति पुरस्कार- सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम की श्रेणी में वर्ष 2014-15 के लिए राजभाषा नीति के कार्यान्वयन में सवोत्कृष्टता के लिए 'ग' क्षेत्र में दूसरा पुरस्कार ।
जीआरएसई ने कोलकाता स्थित भारतीय इंजीनियरिंग, विज्ञान और तकनीकी संस्थान(आईआईईएसटी), के साथ शिक्षा एवं अनुसंधान में संस्थागत सहयोग के लिए नवंबर, 2015 में समझौता ज्ञापन किया है ।
(अधिक जानकारी के लिए लिंक पर जाएँ: grse.in)
गोवा शिपयार्ड लि. (जीएसएल) एक लघु रत्न समूह-1 दर्जे की कंपनी है, जो भारतीय रक्षा बलों और अन्य विभिन्न ग्राहको, जिनमें निर्यात बाजार भी शामिल है, के लिए उत्कृष्ट उच्च प्रौद्योगिकी वाले पोतों की स्वदेशी रूप से डिजाइनिंग करने, उनका निर्माण करने में सक्षम है । वर्तमान में गोवा शिपयार्ड लिमिटेड लगभग 1200 करोड़ रुपए के निर्यात को निष्पादित कर रहा है। विविधीकरण के अंतर्गत नए व्यापार विकास के क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है, जिनमें भारतीय सेना के लिए हॉवर क्राफ्ट भी शामिल हैं । गोवा शिपयार्ड लिमिटेड 'तय लागत' पर पोतों की समय से सुपुदर्गी में खुद पर गर्व करता है और बहुत ही अच्छी निष्पादन दक्षता निष्पादित करता है ।
वर्ष के दौरान सुपुदर्गी/लांचिंगः गोवा शिपयार्ड लिमिटेड ने संविदागत समय सीमा के अनुसार, तटरक्षक बल को परियोजना की पहली 105 एम अपतटीय गश्ती जलयान(ओपीपी) की सुपुदर्गी की है, जो किसी शिपयार्ड के लिए एक प्रमुख उपलब्धि है । इसके अलावा, मॉरीशस सरकार के लिए पांच तीव्र इंटरसेप्टर नौका(एफआईबी) की सुपुदर्गी समय से पहले की गई और इस वर्ष तीन अपतटीय गश्ती जलयान लांच किए गए ।
इन मेक इंडिया के रूप में पहल: गोवा शिपयार्ड लिमिटेड को मेक इन इंडिया पहल के तहत 12 माइन काउंटर मेजर बेसल्स(एमसीएमपी) के स्वदेशी निर्माण के लिए चुना गया है । तदनुसार, एमसीएमवी के लिए यार्ड, अवसंरचना संवर्धन योजना को निष्पादित किया जा रहा है, जिसके पूरा हो जाने पर गोवा शिपयार्ड लिमिटेड प्रौद्योगिकी अंतरण के साथ जीआरपी हल एमसीएमपी के निर्माण में सक्षम हो जाएगा । इसके साथ-साथ परियोजना को शुरु करने के लिए यार्ड ने कार्मिकों की संख्या बढ़ाने की योजना भी तैयार करती है ।
अनुसंधान एवं विकास कार्यकलापः गोवा शिपयार्ड लिमिटेड निरंतर रूप से अनुसंधान एवं विकास कार्यकलापों में निवेश कर रहा है और उन्नत विशेषताओं, जैसेकि विभिन्न प्रचालनात्मक भूमिकाओं और स्टील विशेषताओं के लिए बेहतर ईंधन सक्षमता, उच्चतर समर्थन और उच्च गति, के साथ नई पीढ़ी के प्लेटफार्मों का विकास कर रहा है । गोवा शिपयार्ड लिमिटेड ने 29 एम, 50 नॉट्स इंटरसेप्टर नौका(आईबी) के डिजाइन एवं विकास किया है तथा सुपुर्द की गई प्रथम 105 एम ओपीवी(आईसीजीएस स्मार्थ) को गोवा शिपयार्ड लिमिटेड में ही डिजाइन किया गया है । रक्षा मंत्री के पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया । इसके अलावा, गोवा शिपयार्ड लिमिटेड ने वर्ष के लिए 'राजभाषा कीर्ति' पुरस्कार और 'गवर्ननेंस नाउ' पुरस्कार भी जीते हैं ।
(अधिक जानकारी के लिए लिंक पर जाएँ: www.goashipyard.in)
एचएसएल सबसे बड़ा और सामरिक रूप से अवस्थित शिपयार्ड है । इस यार्ड ने रक्षा एवं समुद्री क्षेत्र के लिए 174 जलयानों का निर्माण किया है और 1940 जलयानों की मरम्मत की है।
प्रमुख उपलब्धियां: भारतीय तटरक्षक बल के लिए पांच आईपीबी श्रृंखला को तीसरा 'आईसीजीएस रानी दुर्गावती' 01 जून, 2015 को सुपुर्द किया गया । यह एक हल्के हथियार वाला सतह पर चलने वाला जलयान है, जो उपतटीय और द्वीप क्षेत्र के चारों ओर संक्रिया करने के लिए सक्षम है । एचएसएल ने भा. नौ. पो. सिन्धुकीर्ति, जो एक ईकेएम श्रेणी की पनडुब्बी है, का मीडियम रिफिट तथा आधुनिकीकरण का कार्य किया है जो देश में किसी मिसाइल प्रणाली के साथ पुनर्सज्जित किए जाने वाला अब तक का सबसे उन्नत प्लेटफार्म है जो प्रक्षेपास्त्र प्रणाली से पहले से सुसज्जित है ।
एचएसएल ने विश्व की बड़ी पोत निर्माण कंपनी मैसर्स हुण्डई हैवी इंडस्ट्रीज कंपनी लि. के साथ पनडुब्बी सहित इसकी प्रणालियों/उप प्रणालियों के निर्माण और डिजाइन के लिए प्रौद्योगिकी अंतरण हेतु 13 जनवरी, 2015 को एक समझौता ज्ञापन किया है ।
अनुसंधान एवं विकास की बेहतरी के लिए सक्रिय कार्रवाईः एचएसएल की डिजाइन क्षमता में 70, 000 डीडब्ल्युटी तक के आकार के मध्यम आकार वाले बल्क कैरियर के साथ-साथ उत्पाद टैंकर्स, कंटेनर जलयान, ड्रेजर्स, सवारी नौका एवं सर्वेक्षण जलयान इत्यादि जैसे सामान्य और विशेष उद्देश्य वाले जलयानों की एक व्यापक शामिल है ।
आधुनिकीकरणः भारत सरकार ने युद्धपोतों के निर्माण के लिए यार्ड को तैयार करने हेतु 23 दिसंबर, 2011 के लैडिंग प्लेटफार्म डॉक परियोजना के अंतर्गत संयंत्र और अवसंरचना के पुर्नसज्जीकरण करने एवं बदलने के लिए 457.36 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं । दिसंबर, 2015 के अन्त तक 105.82 करोड़ रुपए के कार्य ऑर्डर दिए गए हैं।
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