सुगम्यता नियंत्रण
सुगम्यता नियंत्रण
पाठ के आकार में वृद्धि
पाठ के आकार को छोटा करना
अंधेरा/प्रकाश विषमता
उलट देना
मुख्य लिंक
छवियों को छुपाएं
पूर्वनिर्धारित कर्सर
परिपूर्णता
रक्षा उत्पादन विभाग का लक्ष्य 'मेक इन इंडिया' का लाभ उठाकर और इस क्षेत्र में अप्रयुक्त रोजगार और आर्थिक क्षमता का अधिकतम उपयोग करके रक्षा उत्पादन और दोहरे उपयोग वाली प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता को बढ़ाना है ।
रक्षा उत्पादन विभाग के विज़न का ब्यौरा
रक्षा उत्पादन विभाग (डीडीपी) के बारे में
रक्षा उत्पादन विभाग (डीडीपी) की स्थापना एक मजबूत उत्पादन अवसंरचना को विकसित करने और रक्षा उपकरण, हथियार प्रणालियों और प्लेटफार्मों के डिजाइन, विकास और उत्पादन में पर्याप्त आत्मनिर्भरता हासिल करने के दोहरे उद्देश्यों के साथ की गई है। पिछले कुछ वर्षों में विभाग ने सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रमों (डीपीएसयू) के माध्यम से और वर्ष 2001 से लाइसेंस प्राप्त निजी क्षेत्र की कंपनियों के माध्यम से विभिन्न रक्षा उपकरणों के लिए व्यापक उत्पादन सुविधाएं स्थापित की हैं। इसके परिणामस्वरूप विविध प्रकार के उत्पादों का विकास हुआ है जिनमें हथियार और गोला-बारूद, टैंक, बख्तरबंद वाहन, भारी वाहन, लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर, युद्धपोत, पनडुब्बी, मिसाइल, गोला-बारूद, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, अर्थ मूविंग उपकरण, विशेष मिश्र धातु और विशेष प्रयोजन वाले इस्पात शामिल हैं। विभाग यह भी मानता है कि सच्ची आत्मनिर्भरता तभी संभव है जब तकनीक भी देश के पास हो । इसलिए नवंबर, 1962 से विभाग देश के रक्षा उद्योग पारिस्थितिकी तंत्र में नवाचार संवर्धन और बौद्धिक संपदा के सृजन को बढ़ावा दे रहा है ।
उद्देश्य
डीडीपी के व्यापक उद्देश्य:
1
रक्षा अनुसंधान एवं विकास क्षमताओं को मजबूत करना
2
नीतिगत सुधारों और सहयोग के माध्यम से उद्योग को मजबूत बनाना ।
3
वैश्विक निर्यात को सुविधाजनक बनाना और गठबंधनों को बढ़ावा देना ।
रक्षा उत्पादन विभाग के कार्य:
रक्षा उत्पादन विभाग 41 पूर्ववर्ती आयुध निर्माणियें से गठित 7 नए डीपीएसयू सहित 16 सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रमों को प्रशासित करता है । इसके अतिरिक्त, डीडीपी द्वारा निम्नलिखित कार्य किए जाते हैं: